Poem on International Yoga Day'

 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनायें 


योग मिटाए रोग


सुबह शाम योग करो.

स्वस्थ रहो मस्त रहो.

तन मन स्फूर्ति जगे.

आलस्य  दूर   भगे.

यह शरीर हो निरोग.

योग ही मिटाए रोग..


योग साधना सरल.

मन को बाँधना सरल.

नित्य उसका हो अभ्यास.

प्राणायाम स्वाँस प्रस्वाँस.

कम करें थोड़ा भोग.

योग ही मिटाए रोग..


मन में नव उत्साह जगे.

निद्रा तंद्रा दूर भगे.

भारतीय पद्धति पुरातन.

भूल गए थे स्वजन.

फिर से हो रहा उपयोग.

योग ही भगाए रोग..


भस्त्रिका कपाल भाती.

योग है हमारी थाती.

क्रिया है अनुलोम विलोम.

सूर्यनमस्कार       क्षेम.

अध्यात्म का अनुपम प्रयोग.

योग ही भगाए रोग..


विविध भाँति योग करें.

आत्मबल स्वयं में भरें.

विश्व का यह पर्व बने.

सभी राष्ट्रो में यह मने.

इससे बड़ा क्या संयोग.

योग ही भगाए रोग..


फूलचंद्र विश्वकर्मा


Poem on WORLD BOOK DAY

 विश्व पुस्तक दिवस की बधाई


पुस्तकें ही ज्ञान का अजस्र स्रोत हैं।

पुस्तकें विज्ञान से भी ओतप्रोत हैं।।


पुस्तकें ही सद्मार्ग पर हमें चला रहीं।

पुस्तकें ही नीति धर्म रीति सिखा रहीं।।


पुस्तकें  ही  भाषा शब्द का विधान हैं।

पुस्तकें अज्ञान तम का नव विहान हैं।।


तर्क शक्ति भाव मन में पुस्तकें भरें।

खोज  नए प्रश्न की  ये पुस्तकें करें।।


जिंदगी की समस्या का यही हैं समाधान।

सत्य राह ले चले मित्र भ्रात के समान।।


जिंदगी की उलझनों में पड़ा हो इंसान।

पुस्तकों की ओर चले राह हो आसान।।


पुस्तकों में सूत्र सूक्त मंत्र और उपदेश।

पुस्तकों में ज्ञानियों के संकलित संदेश।।


मानवीय चेतना का उद्दीप्त है प्रकाश।

पुस्तकों में कर्म न्याय संहिता आभास।।


खोलकर इन्हें कभी पढ़ें कभी सुनें।

पुस्तकों में ज्ञान योग्य बात को गुनें।।


जिंदगी का फ़लसफ़ा तो पुस्तकों में है।

श्रेष्ठ  ज्ञान  संपदा तो  पुस्तकों   में  है।।


मानवीय मूल्यों की अमूल्य खान हैं।

पुस्तकें  मनुष्य जाति का विधान हैं।।


पुस्तकों का संग हो निर्माण हो चरित्र।

पुस्तकें ही गाढ़े दिन में होतीं सच्ची मित्र।।


पुस्तकों की अस्मिता पर प्रश्न ही नहीं।

पुस्तकों का जोड़  विश्व में नहीं कहीं।।


पुस्तकें अंतरिक्ष की कराए हमें सैर।

जिंदगी संकल्पना न पुस्तक के बग़ैर।।


पुस्तकें  सदैव  अपने  पास  में  रखें।

पुस्तकों में निहित ज्ञानामृत को चखें।।


सत्यम शिवम की ओर ले जाने में हैं समर्थ।

पुस्तकें हैं तो हमारे जीवन का है अर्थ।।


अपने को पुस्तकों से कभी अलग न मानिए।

पुस्तकें अमोल हैं यह सत्य जानिए।।


फूल चंद्र विश्वकर्मा

100 days Reading Challenge



 Jasnoor Kaur VII B


Tanishtha VI A 


Muskan   VII A

Tamanna  VI B 

Deepanwita Das VII A
Pragati   VI B

Ketan Kishore   VI A

Harpreet Kaur   VI A
 
Preeti   VII B

Ehsanul Haque  VI B

Manvi Maheshwari  VII A 

Preetkomal Kaur   VIII A

Nehal Fauzdar   VIII B





Unveiling the Wisdom: SWAMI VIVEKANANDA's Stories that Inspire Generations

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