खगोल विज्ञान के अनुसार 21 जून को सूर्य, कर्क रेखा पर लंबवत चमकता है जिसके कारण उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की सबसे अधिक ऊंचाई होती है और यहां दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं।इसलिए उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है, इस स्थिति को कर्क संक्रांति कहते हैं।
इसका कारण है कि पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.30 डिग्री पर झुकी हुई है। इस दिन सूर्य की किरण ज्यादा देर तक पृथ्वी पर रहती हैं। इसके विपरीत 21 दिसंबर साल का सबसे छोटा दिन इसलिए होता है क्योंकि इस दिन सूर्य की किरण पृथ्वी पर सबसे कम समय के लिए रहती है।
21 जून 2020 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस होने के साथ-साथ सूर्यग्रहण भी है। धार्मिक तथा वैज्ञानिक दोनों ही मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण का भी अपना महत्व होता है।
सूर्य ग्रहण अधिकांशतः अमावस्या को ही होते हैं। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता इसे ही सूर्यग्रहण कहते हैं।
तो यह तो आप सभी जानते होंगे कि सूरज- एक तारा है, पृथ्वी ग्रह है तथा चंद्रमा पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है। ब्रह्मांड में उपस्थित सभी ग्रह, सूर्य के चक्कर लगाते हैं और उपग्रह, ग्रह के चक्कर लगाते हैं तो इसी क्रम में जब तीनों यानी कि सूरज, पृथ्वी तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं तब सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता इसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं। जब सूर्य का एक भाग छुप जाता है तब इसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं जबकि जब पूरा सूर्य छुप जाता है तो उसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहा जाता है।
No comments:
Post a Comment