पर्यावरण- साँसों का नाम
जब तक पर्यावरण रहेगा तब तक अपनी साँस चलेगी।
जीव जंतु सब जीवित होंगे जग सृष्टि की आस जगेगी।।
धरती ही ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन सुलभ हुआ।
धरती पर रहने लायक पर्यावरण का निर्माण हुआ।।
वायु और जल के कारण ही जीव यहाँ पर रक्षित हैं।
हरियाली वन पादप सारे इस के कारण जीवित हैं।।
पर मानव के कारण ही पर्यावरण हुआ असुरक्षित।
उसकी महत्त्वकांक्षा ने पर्यावरण को किया प्रदूषित।।
पेड़ काटकर कर रहा बंजर धरती की छाती।
नष्ट हो रहे उपादान सब मिली हुई है जो थाती।।
असंतुलन पैदा होने से जग का संभव है विनाश।
अब तो रोको बहुत हो चुका धरती का बौना विकास।।
वृक्ष फेफड़े हैं धरती के इनसे ही साँसों का क्रम।
इनसे ही जीवन संभव है मत पालो दूसरा भ्रम।।
इसीलिए पर्यावरण बचाओ इससे ही बचता जीवन।
साँस हमारी बची रहेगी जीवन फिर होगा मधुवन।।
फूलचंद्र विश्वकर्मा
जब तक पर्यावरण रहेगा तब तक अपनी साँस चलेगी।
जीव जंतु सब जीवित होंगे जग सृष्टि की आस जगेगी।।
धरती ही ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन सुलभ हुआ।
धरती पर रहने लायक पर्यावरण का निर्माण हुआ।।
वायु और जल के कारण ही जीव यहाँ पर रक्षित हैं।
हरियाली वन पादप सारे इस के कारण जीवित हैं।।
पर मानव के कारण ही पर्यावरण हुआ असुरक्षित।
उसकी महत्त्वकांक्षा ने पर्यावरण को किया प्रदूषित।।
पेड़ काटकर कर रहा बंजर धरती की छाती।
नष्ट हो रहे उपादान सब मिली हुई है जो थाती।।
असंतुलन पैदा होने से जग का संभव है विनाश।
अब तो रोको बहुत हो चुका धरती का बौना विकास।।
वृक्ष फेफड़े हैं धरती के इनसे ही साँसों का क्रम।
इनसे ही जीवन संभव है मत पालो दूसरा भ्रम।।
इसीलिए पर्यावरण बचाओ इससे ही बचता जीवन।
साँस हमारी बची रहेगी जीवन फिर होगा मधुवन।।
फूलचंद्र विश्वकर्मा
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